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Sunday, 13 January 2013

Suicide : दूर अनंत में



आत्महत्या :
इस सागर से अनन्त दिखाई पड़ता है
इस सागर के आगे  "मेरा" अंत दिखाई पड़ता है  
इस चाँद से डर लगता है
कहीं वो कह न दे किसी को
इस अँधेरे सन्नाटे में
हवाओं से भी शोर सुनाई पड़ता है
कौन कहता है ?
कौन  कहता है की कायर होते है जो आत्मदाह करते है
उसको करने में भी बहुत जिगर लगता है

इस सागर से अनन्त दिखाई पड़ता है
इस सागर के आगे "मेरा" अंत दिखाई पड़ता है  

सोच की गहराही तक जाकर सोच लिया
बहुत  रो लिया, बहुत खो लिया
चीख - चीख के कहता था
ये दिल बहुत डरता है
और उसको अब जीने से डर लगता है
घबराता है , रोता है , मरता है

इस सागर से अनन्त दिखाई पड़ता है
इस सागर के आगे "मेरा" अंत दिखाई पड़ता है  

नहीं देख रहा कोई, उस चाँद के सिवा
सन्नाटा रात का और ठंडी हवा
पीछे रेत पे मेरे पैरो के आखरी  निशाँ
माँ - बाप - समाज
अब कोई न होगा परेशान

इस सागर से अनन्त दिखाई पड़ता है
इस सागर के आगे "मेरा" अंत दिखाई पड़ता है

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