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Wednesday, 11 February 2015

सुनो

सुनो
उन लम्हों के जखीरे में से
कुछ लम्हे रखलो तुम
कुछ देदो मुझे
फिर हम खेलेंगे 'आइस-पाइस'
पुराने ख्वाबों के 'पाले' में
जहाँ मैं-तुम(हम) अक्सर मिल जाते थे
तुम छुपके से आकर
मुझे 'थप्पी' कर देना
और मैं
हो जाऊंगा तुम्हारा गुलाम
ताउम्र 'दाइम' देने के लिए

तीन.. दो.. एक..

सुनो
तुम आओगी न? :)

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