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Tuesday, 15 January 2013

Money speaks ! :)

पुरानी अलमारी में
मिट्टी की गुल्लक मिली है ,
उसमे कुछ सिक्के मिले है
वही जो जोड़े थे
सालभर-वाले मेले के खातिर
रोज़-रोज़, पाई -पाई
जिसमे पापा के कन्धो पे मैं
झाग के बुलबुले उड़ाता हुआ
जादू देखने जाता था ,
मुछे-दाढ़ी ,चश्मा, मोटर
तलवार, खरीद के लाता था,
बहुत यादें है उस जमीन की
जो आजकल खाली खोख लेकर
तरस रही है, बंजर पड़ी है,
उसके बुढ़ापे में उसको मिलने
सिर्फ कचरे का ढेर और मलबा आता है ...,
उसके करीब ही था वो
नीम का घना पेड़
जो मदारी का खेल का
बुजर्गो की राजनीतिज्ञ के मेल का
बच्चो की रेल का
पाखंडा हुआ करता था
आज बेजान , लावारिस, सूखे का मुखबिर है ,
उससे भी कोई मिलने नहीं आता आजकल ..,
करीब ही ..,
मेरा आंगन भी था
जिसने 'पहला' कदम चलना सिखाया था
चीरते हुए METRO निकलती है उसको आजकल
इस गुल्लक जैसे आवाज करती हुई
किसी ने सही कहा है
पैसा बोलता है
क्या- क्या कह गया आज
ये पुराने सिक्के, गुल्लक के ।। :)

Sunday, 13 January 2013

Suicide : दूर अनंत में



आत्महत्या :
इस सागर से अनन्त दिखाई पड़ता है
इस सागर के आगे  "मेरा" अंत दिखाई पड़ता है  
इस चाँद से डर लगता है
कहीं वो कह न दे किसी को
इस अँधेरे सन्नाटे में
हवाओं से भी शोर सुनाई पड़ता है
कौन कहता है ?
कौन  कहता है की कायर होते है जो आत्मदाह करते है
उसको करने में भी बहुत जिगर लगता है

इस सागर से अनन्त दिखाई पड़ता है
इस सागर के आगे "मेरा" अंत दिखाई पड़ता है  

सोच की गहराही तक जाकर सोच लिया
बहुत  रो लिया, बहुत खो लिया
चीख - चीख के कहता था
ये दिल बहुत डरता है
और उसको अब जीने से डर लगता है
घबराता है , रोता है , मरता है

इस सागर से अनन्त दिखाई पड़ता है
इस सागर के आगे "मेरा" अंत दिखाई पड़ता है  

नहीं देख रहा कोई, उस चाँद के सिवा
सन्नाटा रात का और ठंडी हवा
पीछे रेत पे मेरे पैरो के आखरी  निशाँ
माँ - बाप - समाज
अब कोई न होगा परेशान

इस सागर से अनन्त दिखाई पड़ता है
इस सागर के आगे "मेरा" अंत दिखाई पड़ता है

Lovestory of you and me !


तेरी - मेरी भी एक कहानी होगी
एक राजा और एक रानी होगी
इठलाएगी , इतराएगी
रूठेगी , शर्माएगी
इक -इक अदाओं पे क़त्ल - ऐ - आम करवाएगी
तू कहे तो दिन
तू कहे तो शाम होगी
कायनात से भी तेरे लिए आँखें चार होगी
सलतनत की जऱा-जऱा तेरे ही नाम होगी
संसार के रंगों में तेरी पसंद-नापसंद होगी
तू कहे तो चाँद लाल , सफ़ेद य़े रातें होगी
तू मेरी रानी - दुनिया तेरी गुलाम होगी
"अपनी भी एक कहानी होगी
मैं राजा और तू उसकी रानी होगी"! :)

My first poetry.

ज़िन्दगी की राह़ो में अलग मेरा रास्ता |
कहाँ चला कहाँ हु मैं, अलग इसकी दास्ताँ ||
कुछ है नहीं,  कुछ था नहीं, कुछ होगा मेरे पास कभी,
बस इसी की नुमाइंश में कट रहा है रास्ता ||

ज़िन्दगी की राहों में अलग मेरा रास्ता |
कहाँ चला कहाँ हु मैं, अलग इसकी दास्ताँ ||

सोचने का मुझमे नया नजरिया आया था|
बस उसी पर मैंने अपना रास्ता बनाया था ||
रस्ते में पत्थर - ठोकर हुई मुझे भी थी,
बस उन्ही ने रास्तो पर चलना सिखाया था||
वोह मुझे अलग मान मुझ पर हँस रहे थे,
मैं उन्हें एक मान उन पर मुस्कुरा रहा था ||

ज़िन्दगी -- -- - - - - - - - - - - -  - -  रास्ता |
कहाँ चला - - - - - - -  -- - - - - - - - दास्ताँ ||

"रुके न तू झुके ना तू " इसी ने होंसला दिया |
इसी के सहारे मैंने मुकाम को पा लिया ||
ज़िन्दगी जीने का मुझ पर नया रंग छा गया |
मेरा एक अलग रास्ता मेरी ज़िन्दगी बना गया ||

ज़िन्दगी की राह़ो में अलग मेरा रास्ता |
कहाँ चला कहाँ हु मैं, अलग इसकी दास्ताँ ||

Saturday, 12 January 2013

शायद हम प्यार में है :)


"क्या ये फूल सारे गुलाब के हैं ?
और ये चेहरे सारे आफताब से हैं ?
या शायद हम प्यार में हैं |

ये चाँद ज्यादा मुस्कुरा रहा है |
ये सितारें ज्यादा चमचमा रहे हैं |
क्या ये सब आशिकी मिजाज में हैं ?
या शायद हम प्यार में है |

ये मैं इतना क्यूँ इतरा रहा ?
रोज़ मंदिर- मस्जिद जा रहा |
कोई नयी इबादत जहन में है ?
या शायद हम अब प्यार में है |

ये जो रूकती - रूकती साँसे है
और बेठिकाने से हो गए हम हैं |
कोई जादू-टोना तन-बदन पे हैं ?
या शायद हम भी अब प्यार के चंगुल में है |" :)

Thursday, 10 January 2013

तब पागलपन चाहत के साथ मिलता है |


परवान चढ़ती है मोहब्बत
पागलपन चाहत के साथ मिलता हैं |
जब मिलते-मिलने से
जाने का मन नहीं करता है |
जब खुशियाँ 'साथ' होने की
आंसूं बन दिख जाती है |
जब दिल को अच्छा लगता है
कोई अपना-सा लगता है |
जब जाते मंदिर-मस्जिद से
इबादत उसके लिए भी आती है |
जब नौं-नौं दिन भूखी रहकर
वो तुम्हारी तरक्की की दुआं करती जाती है |
परवान चढ़ती है मोहब्बत
पागलपन चाहत के साथ मिलता हैं  |  |

जब आशिकी के खातिर
तू अपनों से लड़ मरता है|
जब उसके नाज़ - नखरे के सिवा
और कुछ नहीं जमता है |
जब साथ उसके होने पर
घड़िया रुकने की दुआएं करता है |
जब उसको डर लगता है
तू उसका हाथ पकड़ता है |
तब
परवान  चढ़ती है मोहब्बत
पागलपन चाहत के साथ मिलता है |
तू उसके साथ जीने -मरने की
हर पल दुआएं करता है ||

Rejuvenating जब तक है जान



तेरी आँखों की मीठी शैतानियाँ
तेरे होठों की रंगीन निशानियाँ
तेरी जुल्फों की बेख़ौफ़ अदाकारियां
नहीं भूलूंगा मैं
जब तक है जान , जब तक है जान

तेरा सारे कसमे -वादे तोडना
तेरा खवाबो में भी आकर कोसना
तेरा सच्ची मोहब्बत से इसकदर खेलना
नहीं माफ़ करूँगा मैं
जब तक है जान , जब तक है जान

मदमस्त परिंदों के पीछे तेरे भागने से
बेवजह रोज - रोज तेरे इतराने से
मुझे छेड़ने वाली बेबाक शैतानियों से
मोहब्बत करूँगा मैं
जब तक है जान , जब तक है जान |

तेरी झूठी इश्क की बातो से
तेरे चुभते बे-रहम सवालों से
मेरे दर्द भरे इन ख्वाबो से
नफरत करूँगा मैं
जब तक है जान , जब तक है जान ...!!

तेरा मन बहला दूँ मैं



चाँद के टुकड़े को गोद में रखा है
भोंर की रौशनी को जेब में रखा है
की तू गर खफा हो कभी
तो तेरा मन बहला दूँ मैं
बौछारो को बादलों में ही
रोक कर रखा है ...
पंछी-परिंदों को बोल कर रखा है
- की तुझसे बतियाने आ जाये
तेरी छत के छज्जे पर ........
मेरे "बचकाने वाले मन" को
सम्भाल के रखा है .
और इसलिए नाराज है मेरा खुदा मुझसे
तेरे गम-दुःख-आंसुओं का रुख मोड़ के रखा है ।

Unconditional Love !




"बेहिसाब मोहब्बत के ,
नुक्सान हजारों है
लिखत - खाता होता तो,
तुझे गिरवी रख लेता .........
चुब्ती घुटन का जवाब लेता
बिखरे ख़्वाबों का हिसाब लेता
घायल लम्हों का हिसाब होता
खुनी नब्ज़ का हिसाब लेता
करके दिवालिया तुझे .....
साथ तेरे जीने का करार होता
काश ! इस मोहब्बत का भी हिसाब होता !" :)

Corruption kills

तेरे कफ़न में नही होगी जेब , ऐ भ्रष्टाचारी   
तो तू किसके लिए यह करता है
तेरी इस नादानी से
आज आम आदमी मरता है...!
खूब बिगडैल औलादें पडोसी देश में हैं ,
कुछ यहाँ , नेताओं के वेश में हैं !


Thursday, 3 January 2013

चाँद भी कोई चीज़ है !

न जाने क्यूँ नूर - ऐ - शहजादा
कहते हैं चाँद को
वो खुद आधी ज़िन्दगी अकेले में बिताता है
सिर्फ सितारों के चमकने तक ही तो रहती है "चांदनी" उसकी  भी
यही किस्सा तो हमारे साथ भी नज़र आता है ||

चार दिन का प्यार फिर भ्रष्टाचार

चार दिन का प्यार फिर भ्रष्टाचार
रूठ जाए तो  "Flowers" वाला "card "
"Dating" से पहले "chocolates" चार
लैला - मजनू  सब कहानी के किरदार
२१वी सदी में सिर्फ चार दिन वाला प्यार
हो भी गया अगर "सच्चा वाला " प्यार
लोकपाल बिल से बुरे हाल-चाल
पूरी कविता का एक ही सार
प्यार की  कहानियों तक है भ्रष्टाचार !! :)