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Wednesday 11 February 2015

तकदीर का इम्तेहान

उस बरसाती बूँद की तरह
तेरा एक छोर उस पत्ते से बंधा है
और एक छोर तड़प रहा है
मेरी हथेली में आकर सिमटने के लिए।।
आज इन लकीरों की
तकदीर का इम्तेहान है। :)

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