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Wednesday, 11 February 2015

इश्क :)

इश्क 
तारों की बिन्दू से उसके अक्स को जोड़ना है
इश्क
धरती के गरम सीने पे बारिश का होना है
इश्क
काजल के दायरे में उसकी कायनात सी आँखें है
इश्क
दूर तेरे जाने पे माँ का चुपके से रोना है
इश्क
बेजड की रोटी के साथ सरसों का साग है
इश्क
काली पड़ी अर्ध-रात में चाँद-चांदनी का साथ है
इश्क
दौड़ती हुई ज़िन्दगी में एक संभला हुआ पड़ाव है

इश्क का अंत इश्क से हो जरुरी नहीं है।
इश्क जिंदगी का एक पड़ाव है, जहाँ हज़ारों इश्क है। :)

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