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Wednesday 11 February 2015

बाकी है |

रस्म बाकी है, रिवाज़ बाकी है
दिल टूटने की, आवाज़ अभी बाकी है

खलिश बाकी है, चुभन बाकी है
दिल पे घाव है, पूरा बदन अभी बाकी है

इश्क कुछ बाकी है, सफ़र कुछ बाकी है
टूट के खड़े है, बिखरना अभी बाकी हैै

कुछ क़र्ज़ पुराना बाकी है, हिसाब चुकाना बाकी है
दिए जख्मों को, मिटाना अभी बाकी है

रोते हुए दिल को हँसाना अभी बाकी है,
मधुशाला में रातभर, जाम चढ़ाना बाकी है

दर्द भरा है अंत गर, तो कहानी अभी बाकी है
बाग़ में भंवर की, जवानी अभी बाकी है| :)

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