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Wednesday, 11 February 2015

कुछ यार होते तो अच्छा था

दो-चार होते तो अच्छा था
कुछ यार होते तो अच्छा था

इस शहर में सारी रात भर
एक वो तारा है
एक मैं हूँ
वो 'चमकते' हुए भी अकेला है
फिर मैं किस जंगल का शेर हूँ

इस आधे-अधूरे ख्वाब में
कुछ नींद होती तो अच्छा था
तेरी याद होती तो अच्छा था
तू साथ होती तो अच्छा था। :)

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