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Thursday, 4 July 2013

हकीकत !

हकीकत
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हर रोज
चाँद लेकर अपनी कश्ती
रात की झील में उतरता है
चांदनी के जाल में
तारा एक नहीं फसता
और फिर से
उदास हुए
छुप जाता है कहीं

पत्थर की मूर्ति में
पूरी आवाम को गिरफ्तार देखकर
rational समझ वाले लोग
उदास हुए
छुपे रहते है कहीं

आदमी हज़ार तरकीबे लगाता है
उसकी ज़िन्दगी से मौत को इश्क न हो
देह फिर भी
चिता की आगोश में छुप ही जाता है ।
~ तपिश

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