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Wednesday, 5 June 2013

हमारे बस का नहीं

सर्द मौसम की हर अलसाई सुबह
एक प्याली चाय पिला पाएंगे आपको
चाँद - तारें लाना,
हमारे बस का नहीं |


और तेरे हर अश्क पे
मुस्कान चढा सकते हैं हम,
जन्नत जैसा घरौंदा ,परियो वाले वादें
हमारे बस का नहीं || :)
~ तपिश

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