Tapish Khandelwal
A poetic enthusiastic, who tryst with words and laid down his odyssey.
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Friday, 22 November 2013
तेरा मेरा दफ़न हुआ ख्वाब |
लिखकर कहीं भूल गया
तेरा मेरा दफ़न हुआ ख्वाब
सोचता हूँ
ढून्ढ कर
जला दूँ
कभी अचानक मिल गया तो
आज भी
कायनात ढाल सकता है
और जला सकता है
मेरी दिल से रूह तक
सबकुछ
सिर्फ एक अधुरा ख्वाब । :)
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