चुप होटों पे आकर
कतरा कतरा दिखने वाली मुस्कान हो तुम Baga beach की रेत पे दिल बनाकर जो लिखा वो नाम हो तुम सचिन की विदाई हो हो ग़ज़ल प्यासी जगजीत की किताबो में दबे इश्क के सूखे फूल के निशां हो तुम नज़ीर हो मोहब्बत की हर इबादत की मांग हो तुम मेरी भटकी हुई जवानी में एक संभला हुआ मुकाम हो तुम। :) |
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