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Tuesday 18 February 2014

Loser's Valentine's Day

हो गया valentine डे भी ख़त्म ...तारें जाग गए, चाँद काली चादर लेकर आ गया। मैंने भी अपनी तीन साल पुरानी  परम्परा निभा दी... उसको इस साल भी propose न करके ।  उसका घर मेरे घर के सामने वाले मकान से तीन घर या पुरे 35 कदम दूर है...
उन 35 कदम में मेरी नजर पिछले पांच साल से उसकी balcony पर ही रहती है... न जाने कब जन्नत का नज़ारा मिल जाए!
साली आशिकी भी  अजीब चीज़ है... 3 इंच की मुस्कान के लिए सारा जग लड़ पड़े आदमी।
लड़ाकू तो हम भी है और लड़ भी पड़ते .... लेकिन साला  इश्क-इ-इज़हार उससे भी ज्यादा typical चीज़ है.. उससे रू-ब-रू होते ही सारा confidence smartphone की battery जैसे कहाँ चला जाता है पता ही नहीं चलता।
ख़ैर बात सिर्फ ये नहीं थी की इस साल भी मेरा जिगर मेरे इश्क को जीत नहीं पाया..।
इस साल उसका रोका भी fix हो चूका था...  अब वो किसी और की होने जा रही थी.. तो इजहार तो दूर हमने तो बात करना भी मुनासिब नहीं समझा आज के दिन... बड़ी तकलीफ होती है....  नाजुक आदमी हैं हम ।

वो कभी मेरे घर नहीं आई लेकिन उसकी खबर जरुर चली आती है... उसकी family की न्यूज़ पुरे मोहल्ले में ब्रेकिंग न्यूज़ जैसे घुमती रहती है... घुमे भी क्यूँ न... वो कोई सनसनी से कम कहाँ है।

आज पूरा शहर इश्क के त्यौहार में डूबा हुआ था... और मैं खुदको किसी देवदास से कम भी नहीं मान रहा था... दिल तो कह रहा था की पूरी रात जाम के नाम कर दूँ लेकिन दिमाग को पता था की ₹18000 कि savings  में पूरी ज़िन्दगी अकेले नहीं गुजार सकता.... घर से बाहर जो निकल दिया जाता।
ख़ैर मैं दिल को काबू करना सिख गया हूँ। . वाही करते हुए  एक गरमा गर्म cappuccino बनाई और चल दिए अपनी छ्त पर हाथ में  guitar लिए हुए...
cappuccino की चुस्की और नज़र फिरसे से उसकी balcony पे.. इंतज़ार करते हुए की एक नज़ारा हो जाए... सिर्फ एक नज़ारा भर भी काफी है अब... अंगूर कितने ही खट्टे हो देखने में तो सुन्दर लगते ही है। 
वो तो नहीं आई लेकिन थोड़ी देर में एक honda accord जरुर आ गई वहा... मेरे सौतन ( मतलब आप समझ गए होंगे) की थी वो!
Honda accord , मेरी bajaj pulsor और एक पुरानी alto के सामने... साली आल्टो भी पिताजी की है अपनी कहाँ ....
 ऐसा लग रहा था की कोई मोहल्ले की लड़ाई हो जिसमे सामने वाली की jack के आगे हम पानी भी नहीं भरते।

देवदास में अब सिर्फ दास वाली feeling बची थी और cappuccino भी लगभग ख़त्म हो चुकी थी...
guitar से अपना हाल -ऐ-बयान कर रहे थे... "छन से जो टूटे कोई सपना जग सुना सुना लागे" ... दो लाइन पूरी बजाई भी नहीं थी की पीछे कोई आवाज़ हमे परेशां करने लगी.

मुड़कर देखा तो सामने डोली पर एक प्यारी-सी चिड़िया बैठी थी।
जैसे नदिया किनारे ढलता सूरज तुम्हारे बाजू आकर बैठ  गया हो...
मेरे देखते ही बिलकुल चुप...
घायल थी बेचारी
नज़रे मुझसे मदद मांग रही थी
मैंने भी झट से उसको first aid कर दिया... लेकिन वो है की मुझे घूरे ही जा रही थी
मानो जैसे की उसको विश्वास ही नहीं हो रहा था की इस दुनिया में मेरे जैसे भी लोग बचे है...
मैंने  ने भी अपना impression बनाये रखा और guitar निकालकर "तुम मिले" बजा डाला
कुछ lines  गाने के बाद हिम्मत बनी
और आख़िरकार पूछ ही लिया , will u be my Valentine ?
वो शरमाई और उढ़कर मेरे कंधे पर आ बैठी
मुझे जवाब मिल गया था और इस साल मेरी वैलेंटाइन भी :)

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