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Wednesday, 14 May 2014

कुछ कम ही सही, मुझे अपना कर दो

मुक्कमल मिलन का
हर सपना कर दो
कुछ कम ही सही
मुझे अपना कर दो

रात के कालीन में
शर्म दबा के रखकर
अपने होठों से
इन होंठो पे
चुटकी भर अफीम तुम मल दो
कुछ कम ही सही
मुझे अपना कर दो

लफ्जों को कह दो
जरा मौन होकर बैठे
धड़कन से धड़कन की
ख़ैर-औ-खबर लो

कुछ कम ही सही
मुझे अपना कर दो! :)

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