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Friday, 15 February 2013

Never Give Up Your Dream !

Its your dream , Its your battle : Fight !
ख़्वाबों में एक दरवाजा मिला
बेड़ियों से सजा हुआ
कोई कैद था शायद उसमे
मेरा ही ख्वाब था शायद वो

जिसको छोड़ा था मैंने
challenging हवाओं से घबराते हुए
जैसे पंछी घबरा जाते है
अनजानी बिजली की आवाज से ,
वाही ख्वाब जिसकी हकीकत की जोड़तोड़ में
माथे की नसें दुखाया करता था
ठोकर खाकर कंकड़ की
छोड़ दिया चलते ही,
जैसे किरणों के पड़ते ही
चाँदनी छोड़ जाती है साथ चाँद का ,

लड़ना होगा अब फिर से
challenging हवाओं से , ठोकरों से
ख़्वाबों के परिंदों को आजाद कराने को
आज से, अभी से !

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