Tapish Khandelwal
A poetic enthusiastic, who tryst with words and laid down his odyssey.
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Saturday, 11 May 2013
तेरी याद में सिर्फ मैं ही नही मर रहा |
लफ्जों का क़त्ल नही होता
वो खुद आत्मदाह कर लेते है
और फिर जब मैं उनके लिए रोता हूँ
वो डूब जाते है
या कभी - कभी
कफ़न बनाकर उसी पन्ने का
दफन हो जाते है ।
तेरी याद में सिर्फ मैं ही नही मर रहा !
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